
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को करीब 3 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मंजूर की है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और विश्व के अन्य देश पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति नीति पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। अब यह प्रश्न उठ रहा है कि IMF की इस सहायता का उपयोग पाकिस्तान कहीं आतंकी संगठनों की फंडिंग में तो नहीं करेगा? साथ ही भारत जैसे देश, IMF के सदस्य होते हुए भी, इसे रोकने में क्यों असमर्थ हैं?
IMF क्या है और इसकी फंडिंग कैसे काम करती है?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक वैश्विक वित्तीय संस्था है जो सदस्य देशों को आर्थिक संकट के समय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है। IMF का मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना, भुगतान असंतुलन को सुधारना, और गरीबी उन्मूलन में सहायता करना है। IMF की फंडिंग सदस्य देशों के द्वारा किए गए “कोटा” (Quota) योगदान पर आधारित होती है। यह कोटा तय करता है कि कोई देश IMF से कितना उधार ले सकता है और IMF के निर्णयों में उसकी वोटिंग पावर कितनी होगी।
IMF में भारत की भूमिका और ताकत कितनी है?
भारत IMF का एक स्थायी सदस्य है और उसका कोटा दुनिया के टॉप 10 देशों में शामिल है। भारत का IMF में वोटिंग पावर लगभग 2.75% है। हालांकि यह एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, लेकिन यह अकेले किसी निर्णय को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
IMF में कोई भी बड़ा निर्णय तब ही लिया जाता है जब 85% वोटिंग शेयर से मंजूरी मिलती है। अमेरिका, जापान, चीन, जर्मनी और यूरोपीय संघ जैसे देशों की संयुक्त वोटिंग पावर बहुत अधिक है। अमेरिका अकेले ही करीब 16.5% वोटिंग पावर रखता है और वह किसी भी बड़े निर्णय को “वीटो” कर सकता है। भारत के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है।
पाकिस्तान को IMF फंडिंग क्यों मिली?
पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिरा है और विदेशी कर्जों का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में IMF ने पाकिस्तान को अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए एक सहायता पैकेज दिया है। IMF के अनुसार, यह फंडिंग जरूरी है ताकि पाकिस्तान अपने सामाजिक-आर्थिक ढांचे को गिरने से बचा सके और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता ना फैले।
IMF यह फैसला वित्तीय मानकों और तकनीकी आकलनों के आधार पर करता है, न कि राजनीतिक संबंधों पर। जब तक कोई देश IMF की निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, उसे फंडिंग मिल सकती है — भले ही उसके पड़ोसी देश, जैसे भारत, इसका विरोध करें।
क्या IMF फंड का इस्तेमाल आतंकवाद में हो सकता है?
यह आशंका पूरी तरह से गलत नहीं है। अतीत में कई बार ऐसे आरोप लगे हैं कि पाकिस्तान ने विदेशी सहायता का एक हिस्सा आतंकी संगठनों की अप्रत्यक्ष फंडिंग में लगाया है। भारत सहित कई देश पाकिस्तान पर आतंकवादी गुटों को पनाह देने और मदद करने का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि IMF फंड का प्रयोग किस मद में हो रहा है, इसकी निगरानी के लिए संस्था की अपनी जांच प्रणाली होती है, लेकिन जमीनी हकीकत में पारदर्शिता की कमी और पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति ऐसे फंड के दुरुपयोग की आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं कर सकती।
भारत क्या कर सकता था?
भारत ने IMF बोर्ड में अपने विचार जरूर रखे हैं, लेकिन उसकी सीमित वोटिंग पावर के कारण निर्णय को रोकना संभव नहीं रहा। भारत पाकिस्तान को FATF जैसी संस्थाओं में घेरने में अधिक प्रभावी रहा है, लेकिन IMF में उसकी शक्ति सीमित है। IMF एक बहुपक्षीय संस्था है जहाँ निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। भारत की भूमिका महत्वपूर्ण जरूर है, लेकिन वह अकेले किसी देश को फंडिंग रोकने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान को IMF से मिली मदद भारत की राजनीतिक आपत्ति के बावजूद जारी की गई।