
उत्तराखंड आज देश में इतिहास रचते हुए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। पूरे राज्य में समान नागरिक संहिता सोमवार से लागू होने जा रही है। इसे लागू करने को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता से समाज में समानता आएगी साथ ही नागरिकों को समान अधिकार और जिम्मेदारियां मिलेंगी। 2022 में चुनाव के बाद राज्य में बीजेपी की सरकार लगातार दूसरी बार बनने के बाद इसे लागू करना जरूरी हो गया था क्योंकि बीजेपी इसे लेकर चुनाव प्रचार में वादे कर चुकी थी। समान नागरिक संहिता कानून को विधानसभा से पहले ही पास किया जा चुका है जिसपर कैबिनेट की मुहर भी लग चुकी है। आज सोमवार को यह कानून पूरे उत्तराखंड राज्य में लागू होने जा रहा है।
क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) ?
सबसे पहले आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा’।
समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के बँटवारे आदि में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है। अभी देश में जो स्थिति है उसमें सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग हैं।
इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।