
झारखंड के चाईबासा से एक बेहद दर्दनाक और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसने झारखंड के स्वास्थ्य व्यवस्था की नंगी तस्वीर पेश कर दी है। रेफरल व्यवस्था की खामियों और चिकित्सा सेवाओं की बदहाली के चलते एक गर्भवती महिला और उसके पेट में सांस ले रहे शिशु की मौत हो गई। यह हादसा पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित सदर अस्पताल और फिर जमशेदपुर स्थित MGM मेडिकल कॉलेज में हुआ, जहां महिला को गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। परिजनों के अनुसार, महिला को सांस लेने में परेशानी थी और अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था, बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन ने समय पर उचित इलाज मुहैया नहीं कराया और रेफर करने में काफी देर कर दी। पूरे इलाज के दौरान महिला को चार अलग अलग अस्पतालों से रेफर किया गया।
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित के पति ने बताया कि वह घंटों तक अस्पताल के चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसे एम्बुलेंस तक समय पर उपलब्ध नहीं कराई गई। इलाज के अभाव में महिला ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया और साथ ही शिशु की भी मौत हो गई। इस त्रासदी के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है और उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।
स्थानीय लोगों और मृतका के परिजनों ने सवाल उठाया है कि आखिर जब अस्पताल में महिला की स्थिति नाजुक थी, तो तत्काल उसे बेहतर सुविधा वाले अस्पताल में क्यों नहीं भेजा गया? पूरे घटनाक्रम ने झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले में अब जिला प्रशासन द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं।
यह घटना केवल एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी भी है कि स्वास्थ्य ढांचे में सुधार का दावा महज एक झूठी कहानी है। झारखंड में आंकड़े बेहद शर्मनाक हैं पिछले पांच सालों में दो हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की मौत इलाज के अभाव में हुई है। जिलों में स्थित अधिकतर अस्पताल लगातार मरीजों को गंभीर अवस्था में रिम्स रेफर कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों पूरे झारखंड में रिम्स के अलावा कोई दूसरा अस्पताल इलाज करने में सक्षम नहीं है।