
शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहा मध्य विद्यालय जोतांग, मात्र 20% बच्चे ही आते आ रहे हैं स्कूल बाकी 80% छात्र विद्यालय से अनुपस्थित हैं।
पांकी (जोतांग)। केकरगढ़ पंचायत के जोतांग स्थित मध्य विद्यालय की स्थिति बेहद दयनीय है। विद्यालय में कुल 105 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन इनमें से केवल लगभग 20% बच्चे ही नियमित रूप से स्कूल आते हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठा रही है, बल्कि आठवीं कक्षा से पहले ही बच्चों के स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) की बढ़ती दर की ओर भी इशारा करती है।
विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में यहां मात्र दो शिक्षक हैं, जिनमें से प्रधानाध्यापक विष्णु गंझू अधिकतर विभागीय कार्यों और अन्य विद्यालयों के निरीक्षण में लगे होने के कारण नियमित नहीं हैं। नतीजतन, स्कूल की पढ़ाई लगभग एकमात्र सहायक शिक्षक (पारा शिक्षक) मणिभूषण सिंह के भरोसे चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक शिक्षक एक साथ आठ कक्षाओं में कैसे और क्या पढ़ा पाएंगे?
इस मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है। फर्श टूटा-फूटा है और वर्षों से रंगाई-पुताई नहीं हुई है। न फूल-पौधे हैं और न ही बच्चों के खेलने के लिए कोई सामग्री।
मध्याह्न भोजन में लापरवाही
विद्यालय में मध्याह्न भोजन लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है, जबकि सरकार ने गैस और गैस चूल्हा उपलब्ध कराया था। बच्चों से लकड़ी लाने के लिए कहा जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि बच्चों के निवाले पर भी नजर रखी जाती है और हकमारी होती है। यह स्थिति प्रधानमंत्री के विकसित और सुशिक्षित भारत के सपने को झटका देती है।
सहायक शिक्षक मणिभूषण सिंह का कहना है कि प्रधानाध्यापक ही सभी विभागीय मामलों की जानकारी दे सकते हैं क्योंकि वे अक्सर स्कूल में मौजूद नहीं रहते। वे दो सितंबर को विद्यालय आने की बात कहते हैं।
सरकार के लिए चुनौती
105 में से सिर्फ 20% बच्चों का नियमित रूप से विद्यालय आना एक बड़ी चिंता है। यह बताता है कि ग्रामीण और जंगली क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आठवीं कक्षा से पहले ही बच्चों के स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति और बढ़ सकती है।
(पांकी से जैलेश की रिपोर्ट)