राज्यसभा में विपक्षी दल इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। फिलहाल यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। भारत में यह पहली बार हो रहा है कि राज्यसभा के सभापति को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है हालांकि सदन में बहुतमत नहीं होने के कारण विपक्षी दल उन्हें हटा नहीं सकते, यह मात्र सांकेतिक है।
विपक्षी दलों ने जगदीप धनखड़ पर सदन में पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि राज्यसभा के सभापति को हटाने को लेकर संविधान में क्या प्रावधान हैं।
संवैधानिक प्रावधान
उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 14 दिन पहले उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जाना ज़रूरी है. उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया राज्यसभा में ही शुरू की जा सकती है, क्योंकि वो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. इसके लिए अलग से कोई नियम नहीं बनाया गया है. इस मामले में वही नियम लागू होते हैं जो लोकसभा के अध्यक्ष को हटाने के लिए हैं.
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा के सभापति के ख़िलाफ़ निश्चित आरोप होने चाहिए और 14 दिनों के नोटिस के बाद ही इस प्रस्ताव को राज्यसभा में बहुमत के लिए लाया जा सकता है. इस प्रस्ताव को राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों के सामान्य बहुमत से पारित कराना ज़रूरी होता है. राज्यसभा से पास होने के बाद इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी सामान्य बहुमत से पास कराना ज़रूरी होता है.