
पांकी-लेस्लीगंज क्षेत्र के ग्रामीण मेडिकल प्रैक्टिशनर ने रविवार को सगालिम पंचायत भवन में बैठक कर सरकार से बिहार की तर्ज पर मान्यता और प्रशिक्षण की माँग उठाई।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि गाँवों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी ज़िम्मेदारी ग्रामीण चिकित्सकों पर ही टिकी है। सीमित संसाधनों के बावजूद वे दिन-रात मरीजों की सेवा करते हैं, लेकिन अब तक उन्हें न तो सरकारी मान्यता मिली है और न ही कोई संरक्षण।
चिकित्सकों ने जोर देकर कहा कि झारखंड सरकार को बिहार सरकार के मॉडल को अपनाना चाहिए, जहाँ ग्रामीण चिकित्सकों को छह माह का प्रशिक्षण देकर पंजीकृत किया जाता है और उन्हें वैध मान्यता दी जाती है। ऐसा होने से वे कानूनी रूप से इलाज कर सकेंगे और ग्रामीण जनता को सुलभ व भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी।
ग्रामीण चिकित्सकों ने यह भी बताया कि गाँवों में स्वास्थ्य केंद्र या तो दूर-दराज़ स्थित हैं या फिर डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी रहती है। ऐसे हालात में आम लोग प्राथमिक इलाज के लिए उन्हीं पर निर्भर रहते हैं। बावजूद इसके सरकार ने उनकी सेवाओं को अब तक आधिकारिक दर्जा नहीं दिया है।
चिकित्सकों ने सरकार से माँग की कि उन्हें प्रशिक्षण और प्रमाणन की व्यवस्था कर जल्द से जल्द मान्यता प्रदान की जाए। इससे न केवल ग्रामीण मरीजों को राहत मिलेगी बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
बैठक में डॉ. एच. एन. सिंह, डॉ. सतेंद्र मेहता, रविंद्र मेहता, रामदत्त शर्मा, गणेश कुमार, नरेश भारती समेत दर्जनों ग्रामीण चिकित्सक मौजूद रहे।
(लेस्लीगंज से जैलेश की रिपोर्ट)