
विद्यालय बना राजनीति और कमाई का अड्डा, बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़, शिकायत पर DEO ने जांच का दिया आश्वासन
(रिपोर्ट – जैलेश)
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना PM‑SHRI के तहत चुने गए चक मनातू स्कूल को एक आदर्श स्मार्ट विद्यालय के रूप में विकसित किया जाना था, लेकिन वर्तमान स्थिति इस उद्देश्य की धज्जियाँ उड़ा रही है। जहां एक ओर स्कूल में 1650 छात्र-छात्राएं और 26 शिक्षक हैं, वहीं दूसरी ओर न तो पढ़ाई हो रही है और न ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
रिपोर्ट के अनुसार विद्यालय में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने की बजाय ऑफिस में बैठकर गपशप में मशगूल रहते हैं, जबकि बच्चे परिसर में इधर-उधर भटकते नजर आते हैं। जब इस विषय में प्रधानाध्यापक संजय सिंह और क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (CRP) मनोज गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कक्षाओं की कमी का हवाला देते हुए बताया कि शिफ्ट सिस्टम में 450-450 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। हालांकि हकीकत यह है कि जब मीडिया की टीम ने स्कूल का निरीक्षण किया, तो कई कक्षाएं खाली पाई गईं और सभी शिक्षक ऑफिस में बैठे मिले।
विद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बने हैं, लेकिन अधिकतर शौचालयों में ताले लटके रहते हैं। विद्यालय परिसर में जगह-जगह कचरे का अंबार लगा हुआ है। बच्चों के लिए न तो खेल का मैदान है, न ही बैठने के लिए उचित व्यवस्था। सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बेंच-डेस्क टूटे-फूटे हालत में हैं और इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। आश्चर्य की बात है लाखों की फंडिंग आखिर खर्च कहां हो रही है जब विद्यालय का यह हाल है।

मनातू प्रखंड प्रमुख गीता देवी ने बताया कि यह विद्यालय पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि ग्रामीण राजनीति और धन कमाने का केंद्र बन गया है। नामांकन और सर्टिफिकेट वितरण के नाम पर अवैध रूप से पैसे वसूले जा रहे हैं। विद्यालय विकास फंड का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं है, न ही स्कूल की रंगाई-पुताई की गई है। स्कूल की जमीन का भी अतिक्रमण किया गया है।
प्रमुख ने जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) सौरभ प्रकाश से मिलकर एक विस्तृत शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्ष 2024-25 में PFMS पोर्टल पर विद्यालय अध्यक्ष और प्रधानाध्यापक की मिलीभगत से फर्जी बिल और वाउचर अपलोड कर राशि की गबन की गई है। इसके अलावा विद्यालय विकास फंड और छात्र कोष में भी व्यापक गड़बड़ी सामने आई है।

इस पूरे मामले में नई शिक्षा नीति (NEP 2020) का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। जहां इस नीति का उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर भविष्य देना है, वहीं यह विद्यालय इसका मजाक बनाता दिख रहा है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी सौरभ प्रकाश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय की जांच कराने और दोषियों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।