चेन्नई स्थित कोरोमंडल समुद्री तट पर अकेले जनवरी माह में एक हजार से अधिक ऑलिव रिडले कछुओं की मौत हो गई है। इनके शव तट पर कई जगहों पर बिखरे नजर आ रहे हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार मछुआरों के द्वारा गैर कानूनी तरीके से मछली मारने से इनकी मौत हो रही है। इतनी बड़ी संख्या में मौत होने से स्थिति गंभीर बनी हुई है।
चेन्नई के समुद्री तट इन कछुओं के प्रजनन के लिए बहुत अनुकूल हैं यही कारण है कि इन तटों पर लाखों की संख्या में कछुए प्रजनन के लिए यहां आते हैं जिसके लिए वे हजारों मिल की दूरी तय करते हैं। ऑलिव रिडले कछुआ एक संरक्षित प्रजाति है जो भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सूचीबद्ध है। हाल के वर्षों में इनके प्राकृतिक वातावरण को काफी नुकसान पहुंचा है
- ओलिव रिडले कछुए विश्व में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक हैं।
- ये कछुए मांसाहारी होते हैं और इनका पृष्ठवर्म ओलिव रंग (Olive Colored Carapace) का होता है जिसके आधार पर इनका यह नाम पड़ा है।
- ये कछुए अपने अद्वितीय सामूहिक घोंसले (Mass Nesting) अरीबदा (Arribada) के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, अंडे देने के लिये हज़ारों मादाएँ एक ही समुद्र तट पर एक साथ यहाँ आती हैं।
- ये प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं। अटलांटिक महासागर में भी इनकी उपस्थिति है।
- भारी संख्या में ही रही मौतों के मध्यनजर NGT ने मछुआरों पर प्रतिबंध लगाने की बात भी कही है।