
बेतला टाइगर रिज़र्व (PTR) में सक्रिय एक बड़े शिकारी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। वन विभाग की गुप्त सूचना के आधार पर की गई कार्रवाई में 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 13 अन्य फरार हैं। पूछताछ में बाघ और अन्य वन्य प्राणियों के शिकार की बात सामने आई है।
वन विभाग के अनुसार, 18 अगस्त को दर्ज अपराध प्रतिवेदन संख्या 1883 के आधार पर कार्रवाई शुरू की गई। सबसे पहले ग्राम नावागढ़ निवासी सरफुदीन मियां को बारूद और गंधक बेचते हुए पकड़ा गया। उसने स्वीकार किया कि वह यह सामग्री शिकारियों को भरूठवा बंदूक में इस्तेमाल के लिए सप्लाई करता था। पूछताछ में उसने यह भी बताया कि उसने कुई निवासी तपेश्वर सिंह को भी यह सामग्री दी थी।
इसके बाद 20 अगस्त की सुबह 3 बजे तपेश्वर सिंह के घर छापेमारी की गई। वहां से भरूठवा बंदूक बरामद हुई। तपेश्वर ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह वर्षों से जंगल में शिकार करता आ रहा है और करीब 10 साल पहले चंदवा चट्टान क्षेत्र में बाघ के शिकार में भी शामिल रहा था।
डीएफओ के निर्देश पर गठित दो टीमों ने छापेमारी कर कुल 9 अपराधियों को गिरफ्तार किया। सभी पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 और भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों में नावागढ़ के सरफुदीन मियां, कुई के तपेश्वर सिंह, झम्मन सिंह, कईल भुइंया, करवाई के अजीत सिंह, जुरुहार के रमन सिंह और पारसनाथ सिंह शामिल हैं। बरामदगी में 8 देसी बंदूक, 400 ग्राम बारूद, 14 ग्राम गंधक सिया, लोहे के 5 टुकड़े, टाइगर ट्रैप, फंदा, फरसा और जंगली जानवरों के अंग शामिल हैं।
फरार आरोपियों की तलाश जारी
गिरफ्तारी की जानकारी प्रेस वार्ता में डीएफओ प्रजेश कांत जेना और कुमार आशीष ने दी। उन्होंने बताया कि फरार आरोपियों की धरपकड़ के लिए अभियान तेज़ कर दिया गया है और जंगलों में गश्ती बढ़ा दी गई है। अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही पूरे गिरोह को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इस अभियान में छिपादोहर के रेंजर अजय टोप्पो, नंदलाल साहू, राहुल दास, सत्यनारायण, रजनीश कुमार समेत पीटीआर के कई अधिकारी और वनकर्मी शामिल थे।
लातेहार से पंकज गिरी की रिपोर्ट