
गरीबी और भुखमरी ने एक दंपति को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें अपना जिगर का टुकड़ा यानी छोटा बच्चा 50 हज़ार रुपये में बेच देना पड़ा। यह हृदय विदारक मामला लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के लोटवा कामलकेडिया गांव से सामने आया है।
गांव के रहने वाले रामचंद्र राम की ज़िंदगी पूरी तरह से मजदूरी पर टिकी है। उसका पैतृक घर उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में है, लेकिन पत्नी के मायके लेस्लीगंज के लोटवा में ही रहने लगा। ससुराल पक्ष ने उसे थोड़ी जमीन देकर अलग कर दिया था। अब वह परिवार के साथ लोटवा में बने सरकारी शेड में रहता है।
पांच बच्चों का पिता रामचंद्र गरीबी के कारण उनके पालन-पोषण में पूरी तरह असमर्थ हो गया। मजबूरी में उसने अपने सबसे छोटे बच्चे को 50 हज़ार रुपये में बेच डाला। यह बच्चा लातेहार के एक दंपति ने खरीदा। बताया जा रहा है कि खरीदार का रिश्ता लोटवा चटकपुर गांव से जुड़ा है और वहीं के परिजनों ने सौदे की मध्यस्थता कराई।
इस घटना ने गरीब और असहाय परिवारों के लिए चलाई जा रही दर्जनों सरकारी योजनाओं की हकीकत सामने ला दी है। लेस्लीगंज थाना प्रभारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मामले की जानकारी से अनभिज्ञ होने की बात कही है।
यह घटना सवाल खड़े करती है कि जब सरकार की ओर से गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चल रही हैं, तो फिर एक पिता को भूख मिटाने के लिए अपने बच्चे को बेचने जैसी दर्दनाक स्थिति का सामना क्यों करना पड़ा?
(लेस्लीगंज से जैलेश की रिपोर्ट)