
कस्तूरबा आवासीय विद्यालय, तरहसी में सोमवार की सुबह नाश्ते में पूरी-सब्जी खाने के बाद लगभग चार दर्जन बच्चियां बीमार पड़ गईं। बच्चियों को पेट दर्द, उल्टी, गले में जलन और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत हुई। सुबह 9 बजे नाश्ता करने के बाद एक घंटे के भीतर ही बच्चियां बीमार पड़ने लगीं।
विद्यालय प्रबंधन ने आनन-फानन में सभी को तरहसी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां इलाज के दौरान पांच बच्चियों की हालत गंभीर बताई गई और उन्हें मेदिनीनगर रेफर कर दिया गया। इनमें चांदनी कुमारी (15), किरण कुमारी (15), मुन्नी कुमारी (16), साक्षी कुमारी (12), संजना कुमारी (14) और आशा खातून (6) शामिल हैं। बाकी बच्चियों का इलाज तरहसी स्वास्थ्य केंद्र में ही चल रहा है।
इलाज कर रहे डॉ. इमरान आलम ने आशंका जताई कि यह मामला विषाक्त भोजन (फूड प्वॉइजनिंग) का हो सकता है।
वहीं विद्यालय की वार्डन आरती कुमारी ने कहा कि बच्चियां जन्माष्टमी के उपवास के बाद नाश्ता करने से बीमार हुई हैं और गैस बनने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
लेकिन ग्रामीणों और कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वार्डन के इस दावे को गलत ठहराया। उनका कहना है कि जन्माष्टमी शनिवार को थी और पारण रविवार को किया गया, जबकि घटना सोमवार को हुई। ऐसे में उपवास का बहाना बचाव मात्र है।
अस्पताल में मौजूद फार्मासिस्ट राजेंद्र कुमार और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने आरोप लगाया कि वार्डन ने बीमार बच्चियों का नाम-पता रजिस्टर में दर्ज नहीं होने दिया और चुपके से इलाज कराकर वापस भेज दिया, जो गंभीर मामला है।
बीमार बच्चियों ने भी शिकायत की कि उनके परिजनों को सूचना नहीं दी गई और इलाज के दौरान कोई अभिभावक मौजूद नहीं था। इससे विद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।