
पंकज गिरि, छिपादोहर/ सावन महीने के अंतिम सोमवार को छिपादोहर प्रखंड स्थित लाभर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह तड़के से ही श्रद्धालु बेलपत्र, दूध और गंगाजल के साथ कतार में खड़े नजर आए।
‘मनोकामना सिद्ध महादेव’ के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर न सिर्फ छिपादोहर बल्कि गारू, लात, चुंगरू, महुवाडाढ़ सहित दूर-दराज के गांवों से आए भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है।
हर प्रार्थना होती है पूरी
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इसलिए सावन में यहां आस्था की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है।

सैकड़ों साल पुराना इतिहास
हालांकि मंदिर निर्माण की सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है, लेकिन बुजुर्गों का कहना है कि यह मंदिर **कम से कम डेढ़ सौ साल** पुराना है। वर्षों से यह स्थान क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बना हुआ है।
स्वयंभू शिवलिंग की महिमा
लाभर मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान शिव स्वयंभू रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर छिपादोहर-गारू मार्ग पर एक शांत व प्राकृतिक वातावरण के बीच स्थित है, जो भक्तों को अध्यात्म से जोड़ता है।
सावन पूर्णिमा पर मेला और भंडारा
हर वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन यहां विशाल मेला और भव्य भंडारा का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग महाप्रसाद ग्रहण करते हैं। यह अवसर सामाजिक समरसता और भक्ति का प्रतीक बन गया है।