
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, बिश्रामपुर से 6 बार विधायक, और धनबाद के पूर्व सांसद रहे ददई दुबे उर्फ चंद्रशेखर दुबे जी का निधन आज दिल्ली में हो गया। उनका राजनीतिक जीवन उच्चतम और बड़ी उपलब्धियों से भरा रहा। संयुक्त बिहार के साथ साथ झारखंड सरकार में वे ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे। उनके बेहद करीबी और उनके गांव के ही रामचंद्र दीक्षित ने द मॉर्निंग प्रेस के साथ बातचीत के दौरान बताया कि वे निमोनिया से ग्रसित थे और दिल्ली में इलाजरत थे जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
मुखिया से विधायक, सांसद और फिर मंत्री बनने तक का सफर
शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि ददई दुबे एक जमीनी और जुझारू नेता थे। बिश्रामपुर स्थित पतीला पंचायत से उन्होंने बतौर मुखिया अपने राजनीति सफर की शुरुआत की जहां वे दस साल तक लगातार मुखिया रहे। बाद में बिश्रामपुर से उन्होंने कई बार निर्दलीय विधायक का चुनाव लड़ा परंतु सफलता नहीं मिली लेकिन इस दौरान इलाके में प्रसिद्धि और लोकप्रियता खूब मिली। इसी की देन रही कि पहली बार 1985 में कांग्रेस की टिकट पर बिश्रामपुर से विधायक का चुनाव जीत गए। उनके करीबी रहे रामचंद्र दीक्षित जी बताते हैं कि 1985 से लेकर 1995 तक लगातार दस वर्षों तक उनका विधायक के रूप में कोई मुकाबला नहीं था। 2000 ईस्वी में वे फिर एक बार बिश्रामपुर से विधायक का चुनाव जीते। इस दौरान केंद्रीय नेतृत्व में ददई दुबे की बड़ी पहचान बनी।
2004 में धनबाद सीट से बने सांसद
बिश्रामपुर से विधायक रहते हुए केंद्रीय नेतृत्व के आदेश का पालन करते हुए ददई दुबे ने धनबाद से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की रीता वर्मा को लगभग एक लाख से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की।
बाद में ददई दुबे पुनः 2009 से लेकर 2014 तक बिश्रामपुर के विधायक रहे इसी दौरान वे झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी बनाए गए। कुल मिलाकर वे छह बार बिश्रामपुर से विधायक निर्वाचित हुए जहां उनका आज भी भारी जनसमर्थन है।
मजदूर नेता के रूप में मिली पहचान
प्रदेश में ददई दुबे की पहचान एक बड़े मजदूर नेता के रूप में रही। वे लगातार इंटक के अध्यक्ष रहे। कोयलांचल और झारखंड प्रदेश के मजदूरों की आवाज उन्होंने लंबे अरसे तक उठाई।
केदारनाथ दर्शन के बाद बिगड़ी तबियत
जानकारी के अनुसार केदारनाथ दर्शन के दौरान अत्याधिक ठंड से इनकी तबियत बिगड़ी जिसके बाद इनका इलाज दिल्ली और फिर रांची में हुआ। मगर वे पुनः न्यूमोनिया की शिकायत के बाद दिल्ली इलाज के लिए चले गए जहां उन्होंने आज करीब आठ बजे अंतिम सांस ली।